अरहंत भगवान की आरती



ॐ जय जय अविकारी, स्वामी जय जय अविकारी ।

हितकारी भयहारी, शाश्वत स्वविहारी ॥ ॐ जय ॥ टेक ॥

काम क्रोध मद लोभ न माया,समरससुखधारी 

ध्यान तुम्हारा पावन, सकल क्लेशहारी ॥ ॐ जय०१

 

हे स्वभावमय जिन तुम चीना, भवसन्तति टारी।

तुव भूलत भव भटकत, सहत विपत भारी ॥ ॐ जय०२

 

परसम्बन्ध बन्ध दुखकारण, करत अहित भारी।

परमब्रह्म का दर्शन, चहुँगति दुखहारी ॥ ॐ जय०३

 

ज्ञानमूर्ति हे सत्य सनातन, मुनिमनसञ्चारी ।

निर्विकल्प शिवनायक, शुचिगुणभण्डारी ॥ ॐ जय०४

 

बसो-बसो हे सहजज्ञानघन, सहजशान्तिचारी ।

टलैं-टलैं सब पातक, परबलबलधारी ॥ ॐ जय०५