श्री बाहुबली भगवान आरती



जय जय श्री बाहुजिन, तुम हो तारण तरन ॥भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।

१.प्रभु तुम सर्वार्थसिद्धि से आये। माता सुनंदा के प्रिय सुत कहाये ॥

आदि नृप के नन्दन, तुमको शत शत वंदन, हों हमारे ।।इन्द्र।।

 

२.कर्मयुग में हुए तुम विधाता । लोकहित मार्ग के तुम ही ज्ञाता ।।

अंक, अक्षर, कला, तुमसे प्रकटे प्रभो! शिल्प सारे ।।इन्द्र।।

 

३.देखे संबंधों की यथार्थता को राज छोड़ गये देव वन को ॥

योग साधा कठिन, कर्म बंधन गहन, तोड़ डाले ।।इन्द्र।।

 

४. सिद्ध परमात्म पद पा गये तुम शंभु ब्रह्मा जिनेश्वर हुए तुम ॥

सिर नवाते हुए, गुणगण गाते हुए, गणधर हारे ।।इन्द्र।।

 

५.नाथ अपनी चरण भक्ति दीजे । आत्मगुण सिन्धु में मन कीजै ॥

छीजे आवागमन, शिवपुर में हो गमन, कर्म झारे ।।इन्द्र।।

 

जय जय श्री बाहुजिन, तुम हो तारण तरन ॥ भविजन प्यारे, इन्द्र धरणेन्द्र स्तुति धर तुम्हारे।।