देव स्तुति (वीतराग सर्वज्ञ हितंकर)



वीतराग सर्वज्ञ हितंकर भविजन की अब पूरो आस |

ज्ञान भानु का उदय करो मम मिथ्यातम का होय विनाश ॥

 

जीवों की हम करुणा पाले,झूठ वचन नहीं कहें कदा |

परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी,ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा ॥

 

तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा,तोष सुधा निधि पिया करें |

श्री जिनधर्म हमारा प्यारा उसकी सेवा किया करें |

 

दूर भगावें बुरी रीतियाँ,सुखद रीति का करें प्रचार |

मेल-मिलाप बढ़ावे हम सब,धर्मोन्नति का करें प्रचार ॥

 

सुख-दुख में हम समता धारे,रहे अचल जिमि सदा अटल |

न्याय मार्ग का लेश न त्यागें,वृद्धि करें निज आतम बल ॥

 

अष्ट करम जो दुःख हेतु हैं,उनके क्षय का करें उपाय |

नाम आपका जपें निरन्तर,विघ्न शोक सब ही टल जाय ॥

 

आतम शुद्ध हमारा होवे,पाप मैल नहीं चढ़ें कदा |

विद्या की हो उन्नति हममें,धर्म ज्ञान हूँ बढ़े सदा |

 

हाथ जोड़कर शीश नवावें,तुमको भविजन खड़े-खड़े |

यह सब पूरो आश हमारी चरण-शरण में आन पड़े ॥

 

7021043613

by Kusum jain at 01:52 PM, Jun 29, 2022