Posted on 08-May-2020 08:50 PM
वीतराग सर्वज्ञ हितंकर भविजन की अब पूरो आस |
ज्ञान भानु का उदय करो मम मिथ्यातम का होय विनाश ॥
जीवों की हम करुणा पाले,झूठ वचन नहीं कहें कदा |
परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी,ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा ॥
तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा,तोष सुधा निधि पिया करें |
श्री जिनधर्म हमारा प्यारा उसकी सेवा किया करें |
दूर भगावें बुरी रीतियाँ,सुखद रीति का करें प्रचार |
मेल-मिलाप बढ़ावे हम सब,धर्मोन्नति का करें प्रचार ॥
सुख-दुख में हम समता धारे,रहे अचल जिमि सदा अटल |
न्याय मार्ग का लेश न त्यागें,वृद्धि करें निज आतम बल ॥
अष्ट करम जो दुःख हेतु हैं,उनके क्षय का करें उपाय |
नाम आपका जपें निरन्तर,विघ्न शोक सब ही टल जाय ॥
आतम शुद्ध हमारा होवे,पाप मैल नहीं चढ़ें कदा |
विद्या की हो उन्नति हममें,धर्म ज्ञान हूँ बढ़े सदा |
हाथ जोड़कर शीश नवावें,तुमको भविजन खड़े-खड़े |
यह सब पूरो आश हमारी चरण-शरण में आन पड़े ॥
7021043613
by Kusum jain at 01:52 PM, Jun 29, 2022