बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक



बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक,

बारह वर्षों से हम इसकी राह रहे थे टेक,

धन्य धन्य वे लोग यहां जो आज रहे सिर टेक॥ बाहुबली...॥

मस्तकाभिषेक.... महामस्तकाभिषेक

बीते वर्ष सहस्त्र मूर्ति ये तप की गढी हुई,

खडे तपस्वी का प्रतीक बन तब से खडी हुई

श्री चामुण्डराय की माता, इसका श्रेय उन्हीं को जाता

उनके लिये गढी प्रतिमा से लाभान्वित प्रत्येक॥ धन्य...॥

ऋषभ देव पितु मात सुनंदा भ्राता भरत समान,

घुट्टी में श्री बाहुबली को मिला धर्म का ज्ञान

चक्रवर्ती का शीश झुकाकर प्रभुता छोडी

प्रभुता पाकर विजय गर्व से पहले प्रभु ने धरा दिगम्बर वेश॥ धन्य..॥

पर्वत पर नर नारी चले कलशों में नीर भरे,

होड लगी अभिषेक प्रभु का पहले कौन करे

नीर क्षीर की बहती धारा, फ़िर भी ना भीगा तन सारा

ऐसी अन्य विशाल मूर्ति का कहीं नहीं उल्लेख॥ धन्य...॥

ऐसा ध्यान लगाया प्रभु को रहा ना ये भी ध्यान,

किस किस ने चरणार्बिन्दु में बना लिया है स्थान

बात उन्हें ये भी ना पता थी, तन लिपटी माधवी लता थी

ये लाखों में एक नहीं हैं, दुनिया भर में एक॥ धन्य...॥

महक रहे चंदन केशर पुष्पों की झडी लगी,

देखन को यह दृश्य भीड यहां कितनी बडी लगी

ऐसी छटा लगे मनभावन, फ़ागुन बन बरसे क्यूं सावन

आज यहां वे जुडे जिन्होंने जोडे पुण्य अनेक॥ धन्य...॥

अपने गुरुवर सहित पधारे मुनि श्री विद्यानंद,

चारु कीर्ति की सौम्य छवि लख हर्षित श्रावक वृंद

नगर नगर से घूम घुमाकरआया मंगल कलश

यहां पर एक सभी की भक्ति भावना लक्ष्य सभी का एक॥ धन्य...॥

गोमटेश का है संदेश धारो अपरिग्रह वाद,

सब कुछ होते सब कुछ त्यागो वो भी बिना विषाद

भौतिक बल पर मत इतराओ, दया क्षमा की शक्ति बढाओ

आतम हित के हेतु हृदय में जागृत करो विवेक॥ धन्य...॥