चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू...जैन लोरी



चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू

अनन्त शक्ति का धारक है तू ॥

सिद्धों का लघुनन्दन कहा, मुक्तिपुरी का नायक है तू ॥1॥

 

चार कषायें, दुःख से भरी, तू इनसे दूर रहे,

पापों में, जावे न मन, दृष्टि निज में ही रहे ।

चलो चलें अब मुक्ति की ओर, पञ्चम गति के लायक है तू ॥२॥

 

श्री जिनवर से राह मिली, उस पर सदा चलना,

माँ जिनवाणी शरण सदा, बात हृदय रखना ।

मुनिराजों संग केलि करे, मुक्ति वधु का नायक है तू ॥३॥

 

चेतन है तू, ध्रुव ज्ञायक है तू

अनन्त शक्ति का धारक है तू ॥

सिद्धों का लघुनन्दन कहा, मुक्तिपुरी का नायक है तू ॥