परम दिगम्बर मुनिवर देखे, हृदय हर्षित होता है...



 

परम दिगम्बर मुनिवर देखे, हृदय हर्षित होता है,

 

आनन्द उलसित होता है, हो-हो सम्यग्दर्शन होता है ।।

 

 

वास जिनका वन-उपवन में, गिरि-शिखर के नदी तटे,

 

वास जिनका चित्त गुफा में, आतम आनन्द में रमे ।१।

 

परम दिगम्बर मुनिवर देखे...

 

 

कंचन-कामिनी के त्यागी, महा तपस्वी ज्ञानी-ध्यानी,

 

काया की ममता के त्यागी, तीन रतन गुण भण्डारी ।२।

 

परम दिगम्बर मुनिवर देखे...

 

 

परम पावन मुनिवरों के, पावन चरणों में नमूँ,

 

शान्त-मूर्ति सौम्य-मुद्रा, आतम आनन्द में रमूँ ।३।

 

परम दिगम्बर मुनिवर देखे...

 

 

चाह नहीं है राज्य की, चाह नहीं है रमणी की,

 

चाह हृदय में एक यही है, शिव-रमणी को वरने की ।४।

 

परम दिगम्बर मुनिवर देखे...

 

 

भेद-ज्ञान की ज्योति जलाकर, शुद्धातम में रमते हैं,

 

क्षण-क्षण में अन्तर्मुख हो, सिद्धों से बातें करते हैं ।५।

 

 परम दिगम्बर मुनिवर देखे...