शास्त्रों की बातों को मन से ना जुदा करना



तर्ज : माता तू दया करके

शास्त्रों की बातों को मन से ना जुदा करना,

संकट जो कोई आये स्वाध्याय सदा करना ॥

जीवन के अंधेरों में दुखों का बीडा है,

पहचान जरा कर ले फ़िर जड से मिटा देना ॥

हम राह भटकते हैं, मंजिल का नहीं पाना,

चहुं ओर अंधेरा है बुझा दीप हमारा है ।

हमें राह दिखा जिनवर भव पार हमें करना ॥

धन दौलत की दुनिया अपना ही पराया है,

तू सार करे किसकी माटी की काया है,

पहचान जरा करले फ़िर जग से विदा लेना ॥