मोक्ष सप्तमी का महत्व



मोक्ष सप्तमी का महत्व

        श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष की प्राप्ति हुई थी । इसलिए इस दिन को उनके मोक्ष कल्याणक दिवस के रूप में मनाया जाता है।  इस दिन को मोक्ष सप्तमी महोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।  

        मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना,  शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है। मोक्ष की प्राप्ति होना जीवन का सार्थक होना माना जाता है। जब तक मनुष्य इस संसार में जीवित रहता है तब तक उसे कोई ना कोई चिंता जरूर सताती है और ऐसे में मोक्ष का कोई अर्थ नहीं रह जाता। लेकिन जब किसी को पूर्णतया मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है तो उसके जीवन का अर्थ सार्थक हो जाता है। इस मान्यता के साथ इस दिन को मोक्ष सप्तमी के रूप में मनाते हैं।

        इस दिन खास तौर पर बालिकाएं  निर्जला उपवास करती है, दिन भर पूजन, स्वाध्याय, मनन-चिंतन, सामूहिक प्रतिक्रमण करते हुए संध्या के समय देव-शास्त्र-गुरु की सामूहिक भक्ति कर आत्म चिंतन करती है।

 

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