Posted on 07-Dec-2020 04:17 PM
उपाध्याय परमेष्ठी
प्रश्न 1. उपाध्याय परमेष्ठी के 25 मूल गुण कौन से हैं ?
उत्तर - 11 अंग और 14 पूर्व ये उपाध्याय परमेष्ठी के 25 मूल गुण हैं।
प्रश्न 2. 11 अंग कौन से हैं ?
उत्तर - प्रथमहिं आचारांग गनी, दूजी सूत्रकृतांग। ठाण अंग तीजो सुभग, चौथी समवायांग।
व्याख्या पण्णत्ति पांचमों, ज्ञातृ कथा षट जान। पुनि उपासका ध्ययन है अंतः कृत दश ठान।
अनुत्तरण उत्पाददश, सूत्रविपाक पिछान। बहुरि प्रश्न व्याकरण जुत, ग्यारह अंग प्रमाण।
1.आचारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्यापृज्ञप्ति 6. ज्ञातृकथांग
7. उपासकाध्ययनांग 8. अंतकृदशांग 9. अनुतरोपपादिकदशांग 10. विपाकसूत्रांग 11. प्रश्न व्याकरणांग।
प्रश्न 3. 14 पूर्वो के नाम कोन से है ?
उत्तर - उत्पादपूर्व आग्रायणी, तीजो वीरवाद। अस्तिनास्ति परवाद पुनि, पंचम ज्ञान प्रवाद।
छठा कर्म प्रवाद है, सत्प्रवाद पहिचान। अष्ठम आत्मप्रवाद पुनि, नवमो प्रत्याख्यान।
विद्यानुवाद पूरव दशम, पूर्व कल्याण महंत। प्राणवाद किरिया बहुल, लोकबिंदु है अंत।
1. उत्पाद पूर्व 2. आग्रायणी पूर्व 3. वीर्यानुवाद पूर्व 4.अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व 5. ज्ञानप्रवाद पूर्व
6. सत्यप्रवाद पूर्व 7. आत्मप्रवाद पूर्व 8. कर्म प्रवाद पूर्व 9. प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व 10. विद्यानुवाद पूर्व
11. कल्याणवाद पूर्व 12. प्राणवाद पूर्व 13. क्रिया विशाल पूर्व 14. लोकबिंदु सार पूर्व।
साधु परमेष्ठी
प्रश्न 1. साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण कौन से हैं ?
उत्तर - 5 महाव्रत, 5 समिति, 5 इन्द्रिय निरोध, 6 आवश्यक, 7 शेष गुण = 28 मूलगुण।
प्रश्न 2. पाँच महाव्रत पाँच समिति कौन से हैं ?
उत्तर - पाँच महाव्रत
हिंसा अनृत तसकरी, अब्रह्म परिग्रह पाय। मनवच तनते त्यागवी, पंच महाव्रत थाय।
1.अहिंसा महाव्रत 2. सत्य महाव्रत 3. अचौर्य महाव्रत 4. ब्रह्मचर्य महाव्रत 5. परिग्रह त्याग महाव्रत।
पाँच समिति
ईर्या भाषा एषणा, पुनि क्षेपण आदान। प्रतिष्ठापनाजुत क्रिया पाँचो समिति विधान।
1. ईर्या समिति 2. भाषा समिति 3. एषणा समिति 4. प्रतिष्ठापना समिति 5. व्युत्सर्ग समिति।
प्रश्न 3. पाँच इन्द्रिय निरोध किसे कहते है ?
उत्तर - स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण इन पाँचो इन्द्रियों को वश में करना इन्द्रिय निरोध हैं।
प्रश्न 4. छह आवश्यक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर - समता धर वंदना करे, नाना थुति बनाय। प्रतिक्रमण स्वाध्याय जुत, कायोत्सर्ग लगाय।
1. समता 2. वंदना 3. स्तुति 4. प्रतिक्रमण 5. स्वाध्याय 6. कायोत्सर्ग।
प्रश्न 5. सात शेष गुण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर - सपरस रसना नासिका, नयन श्रोत्र का रोध। इन्द्रिय वशि मंजन तजन, शयन भूमिका शोध।
वस्त्रत्याग कचलून्च अरु, लघु भोजन इक बार। दाँतुन मुख में ना करे, ठाड़े लेहि आहार।
विशेष - इस दोहे के प्रथम पंक्ति में पाँचों इन्द्रियों के निरोध (वश में करना) की चर्चा भी की गई है।
1. स्नान नहीं करना 2. भूमि पर सोना 3. नग्न रहना 4. केशलोंच करना 5. दिन में एक बार आहार लेना
6. अदंत धावन (दांत नहीं धोना) 7. खड़े खड़े हाथ में आहार लेना।
प्रश्न 6. पंच परमेष्ठियों के कुल कितने मूलगुण है ?
उत्तर - पंच परमेष्ठियों के कुल 143 (46+8+36+25+28) मूलगुण हैं।
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