सम्राट भरत चक्रवर्ती के सोलह स्वप्न



 

युग की आदि में सम्राट भरत को १६ स्वप्न आये थे । उन्होंने भगवान आदिनाथ के समवशरण में जाकर उन स्वप्नो का अर्थ पूछा। दिव्यध्वनि खिरी के पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में जैसा धर्म रहेगा,उसके स्वप्न आये है और उन्होंने स्वप्नों के अर्थ बताये। 

सम्राट भरत चक्रवर्ती के सोलह स्वप्न

(१) २३ सिंहों को देखा-

 इस स्वप्न का फल है कि २३ तीर्थंकरों के समय में खोटे आचरण के मुनि नहीं होंगे। 

(२) एक सिंह के पीछे मृग समूह-

   इसका फल है की भगवान महावीर,अंतिम तीर्थंकर के निर्वाण के पश्चात पथभ्रष्ट मुनि होवेगें। 

(३) घोड़े पर हाथी चढ़ रहा है-

    इसका फल है की पंचम काल में साधु तप से डरेंगे व असमर्थ रहेंगे।

(४) हंस को कौवे सता रहे है-

    इस स्वप्न का फल है कि उच्चकुलीन शुभ आचरण से भ्रष्ट हो खोटे आचरण करेंगे। 

(५) दो बकरे सूखे पत्ते का सेवन कर रहे है- 

    इस स्वप्न का फल है कि क्षत्रियों का नाश होगा, शूद्र राज्य करेंगे। 

(६) भूत-प्रेत नाच रहे है-

    इस स्वप्न का फल है की अज्ञानी, भूतादि व्यंतरो की पूजा जिनेन्द्र के समान करेंगे। 

(७) कुत्ता पूजन द्रव्य खा रहा है-

    इस स्वप्न का फल है की पंचम काल में कुपात्र, पात्र के समान आदर पावेंगे। 

(८) हाथी पर बन्दर बैठा है-

    इसका फल है की पंचम काल में मुनि धर्म का पालन नहीं करेंगे व पापी धर्मात्माओं का अपमान करेंगे। 

(९) सरोवर के मध्य में सूखा और किनारो पर जल भरा है-

    इस का फल है कि उत्तम तीर्थों में धर्म का अभाव होगा और हींन स्थानो मे धर्म रहेगा ।

(१०) रत्नराशि धूलि से लिप्त दिखना-

    इसका फल है कि पंचम काल में शुक्ल ध्यानी नहीं होंगे, थोड़ा धर्म रहेगा। 

(११) एक तरुण बैल देखा-

    इस का फल है की तरुण अवस्था में धर्म पालेंगे किन्तु वृद्धावस्था में अरुचि रहेगी।

(१२) शाखा सहित चन्द्रमा देखा-

    इसका फल है कि पंचम काल में अवधि एवं मन:पर्याय ज्ञानी मुनि नहीं होंगे ।

(१३) बैल दहाड़ रहे है-

    इसका फल है कि पंचम काल में मुनि एकलविहारी स्वछंद आचरण करेंगे। 

(१४) सूर्य मेघो से घिरा है-

    इसका फल है कि पंचम काल में मुनियों को केवलज्ञान नहीं होगा। 

(१५) पत्तेरहित सूखा वृक्ष देखा-

    इसका फल है कि पंचम काल के मनुष्य शीलव्रत धारण करके भी कुशील आचरण करेंगे। 

(१६) सूखे जीर्ण पत्ते देखे-

    इसका फल है कि पंचम काल में अन्न व ओषधियाँ नीरस होगी। 

 

भरत चक्रवर्ती द्वारा देखे गए उक्त सोलह स्वप्नों को वर्तमान मे हम प्रत्यक्ष अनुभव करते है।

 

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by Dinesh kumar jain at 05:55 PM, Sep 02, 2022